Related to : Girls Empowerment
Means/Methods: Activity
Area: Educational Quality Enhancement
Subject: Hindi
Level : Upper Primary
District: Bareilly
Teacher’s Name: प्रियंका पाराशर
Topic : Leadership (Girls Empowerment)
सारांश -
प्राथमिक विद्यालयों में कहानी, कविता एवं गतिविधियों का प्रयोग कर एक ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है जहाँ बच्चों का क्षितिज व्यापक बने, सभी बच्चे मूल्यवान व समर्थित महसूस करे, इस तरह के दृष्टिकोण से विद्यालय के बच्चों में समानता की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा व लैंगिक रूढ़वादिता को तोड़ने में मदद मिलेगी। बच्चों में यह समझ विकसित होगी कि सभी की रूचियाँ व प्रतिभाएँ लिंग मानदण्डों द्वारा प्रतिबन्धित नहीं होती है।
उद्देश्य -
शिक्षिका को विद्यालय में यह महसूस हुआ कि छात्र/छात्राएँ यह मानते है कि कुछ पेशे, व घरेलु भूमिकाएँ केवल बालिकाओं के लिए उपयुक्त है. इसी प्रकार बालकों के लिए भी कुछ विशेष पेशे व भूमिकाएँ निर्धारित हैं। शिक्षिका इस समस्या को हल करने तथा शैक्षिक समावेशन की भावना छात्र-छात्राओं में विकसित करने के लिए विद्यालय स्तर पर कविता, कहानी व गतिविधि नवाचार के प्रयोग से विद्यालय में लैंगिक तटस्थता का वातावरण सृजन करना है। जिससे वे लैंगिक रूप से कार्यों में भिन्नता न रखकर सभी कार्य करने के लिए प्रेरित हो और शुरू से ही बालक/बालिकाओं में एक-दूसरे के प्रति पारस्परिक सम्मान का भाव उत्पन्न हो सकें। विद्यालय का वातावरण बच्चों के विकास और उसकी सोच की गहराई से प्रभावित करते हैं।
कियान्वयन-
शिक्षिका द्वारा विद्यालय में लैंगिक तटस्थता (Gender Neutrality) का वातावरण सृजित करने के लिए कहानी, कविता व गतिविधियों के माध्यम से छोटे बच्चों का परिचय पारम्परिक रूढ़िवादिताओं से इतर विषयवस्तु से कराया जैसे पिता जी का मुन्ने को नहलाना, पिता का नाश्ता बनाते हुए चित्रण, लड़कियों का क्रिकेट, फुटबॉल व रोबोट से खेलने का चित्रण, माता का ऑफिस जाना व माता-पिता का रसोई में साथ काम करना दिखाते हुए यह धारणा विकसित की जाती है कि प्रत्येक बच्चा अपने आप में यूनिक होता है व उसकी रूचियों व प्रतिभाएँ लिंग मानदण्डों द्वारा प्रतिबंधित नहीं होती।
गतिविधि-
" निशाना लगाओ" गतिविधि के माध्यम से विभिन्न खेल, मनोरंजन, विज्ञान व्यवसाय, पुलिस, राजनीति, शिक्षा, समाजसुधार आदि क्षेत्रों में महिलाओं/पुरुषों के योगदान का चक्र बनाया गया है व बच्चों को अपनी रूचि के अनुसार निशाना लगाने को कहा जाता है। बच्चे बिना भेद-भाव के अपने रूचि के अनुसार विभिन्न चित्रों पर निशाना लगाते हैं।
प्रभाव-
विद्यालय स्तर पर इस नावचार का व्यापक, प्रभाव पड़ा इस संतुलित विषय वस्तु के माध्यम से छोटे बच्चों के मन में पारम्परिक लैंगिक रूढ़िवादिता के भाव को चुनौती देते हुए बच्चों के बीच आपसी सम्मान व सहयोग की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास सफल रहा है, लड़कियों एवं लड़कों ने इस विचार को आत्मसात किया कि वे बिना भेदभाव के सभी खेलों, प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हैं। छात्रों में यह समझ विकसित हुई कि कैरियर विकल्पों में लिंग की कोई भूमिका नहीं होती, लड़कियों भी बड़ी होकर डॉक्टर, इंजीनियर, व आर्किटेक्ट इत्यादि व लड़के बड़े होकर नर्स, शेफ, नर्सरी शिक्षक बन सकते हैं। गतिविधि, निशाना लगाओं के माध्यम से चक्र के चित्र ट्रांसजेण्डर शबनम मौसी व दिव्यांग वैज्ञानिक स्टीफन्स हॉकिन्स के चित्रों से बच्चों में मानवीय दृष्टिकोण विकसित करते हुए बच्चों में समानता एवं सभी के प्रति सम्मान की भावना विकसित हुई है। ग्रामीण परिवेश में माता-पिता अपनी बच्चियों को विद्यालय वार्षिकोत्सव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाते थे परन्तु उपरोक्त संतुलित विषय वस्तु के माध्यम से मैं उन अभिभावकों को यह समझाने में यह सफल रही कि प्रत्येक बच्चा अपने आप में यूनिक होता है, उसकी रूचियाँ व प्रतिभाएँ लिंग मानदण्डों द्वारा प्रतिबंधित नहीं होनी चाहिए। परिणाम स्वरूप विद्यालय वार्षिकोत्सव में अभिभावकों ने बालिकाओं के प्रतिभाग करने हेतु सहर्ष अनुमति प्रदान की। छात्र अब विद्यालय में होने वाली प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में प्रतिभाग करते है। अन्य विद्यालय के शिक्षक भी इससे प्रेरित होकर अपने विद्यालय में ऐसे कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहें है। जिससे बच्चों में सभी के प्रति सम्मान व सहयोग की भावना विकसित हुई और वे लिंग के आधार पर किसी को भी कमतर नहीं आकते है।