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Means/Methods: Community Engagement

Area: Educational Quality Enhancement

Subject: Science

Level : Higher Secondary

District: Bulandshahr

Teacher’s Name: नदीम अखतर खान

Topic : Academic (Content)

सारांश -

विज्ञान के जटिल अवधारणाओं को सरल और प्रभावी तरीके से समझाने के लिए वर्चुअल लैब का उपयोग एक महत्वपूर्ण साधन बनकर उभरा है। यह तकनीक विशेष रूप से डी.एल.एड विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हो रही है, क्योंकि यह वैज्ञानिक सिद्धांतों की सैद्धान्तिकी के साथ ही उसके प्रायोगिक रूप से भी समझने का अवसर प्रदान करती है। वर्चुअल लैब्स में आधुनिक तकनीकी के सहारे विभिन्न प्रयोगों को परस्पर संवाद और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि और जिज्ञासा बढ़ती है। इसके आलावा, यह तरीका शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और वास्तविक जीवन के समीप लाने में मदद करता है।

 उद्देश्य-

विज्ञान में प्रायोगिक कार्यों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करता है बल्कि उनके व्यावहारिक अनुभव को भी समृद्ध करता है। किन्तु वर्तमान समय में भी अधिकांश जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Institute of Education and Training) में विज्ञान की सक्रिय प्रयोगशालाओं की कमी है, जिससे प्रायोगिक या प्रयोगात्मक शिक्षा प्रदान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। वर्चुअल लैब के उपयोग का उद्देश्य ऐसे संसाधनों के अभाव में भी छात्रों को प्रायोगिक अनुभव प्रदान करना है, जिससे कि वे विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को प्रयोगों के माध्यम से बेहतर समझ सकें। यह छात्रों को वर्चुअल माध्यम से प्रयोग करने का अवसर देता है, जिससे वे प्रायोगिक कार्यों की सटीक और वैज्ञानिक अवधारणाओ को स्पष्ट रूप से समझ सकें। वर्चुअल लैब के माध्यम से छात्रों को बिना भौतिक प्रयोगशाला के भी प्रायोगात्मक अनुभव प्राप्त होता है, जो उनकी शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और प्रभावी बनाता है। साथ ही वर्चुअल लैब में आधुनिक तकनीक के सहारे विभिन्न प्रयोगों को इंटरेक्टिव और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, परिणामस्वरूप छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि और जिज्ञासा बढ़ती है। वर्चुअल लैब का उद्देश्य छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना और विज्ञान के प्रति उनके दृष्टिकोण को और अधिक मजबूत एवं व्यावहारिक बनाना भी है ताकि उनमें समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकालने की क्षमता का विकास हो सके। इसके अतिरिक्त, यह विधि छात्रों के अंदर विज्ञान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करने के लिए बनाई गई है।

कार्य योजना-

शिक्षक-प्रशिक्षक ने डी.एल.एड प्रशिक्षुओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जटिल वैज्ञानिक धारणाओं की समझ विकसित करने के उद्देश्य से वर्चुअल लैब का उपयोग शुरू किया। प्रशिक्षुओं की प्रारंभिक शैक्षणिक योग्यताओं और वैज्ञानिक समझ को ध्यान में रखते हुए, डी.एल.एड पाठ्यक्रम में शामिल विज्ञान के विभिन्न विषयों के अनुरूप वर्चुअल लैब सॉफ्टवेयर का निर्माण/चयन किया गया। इन सॉफ़्टवेयर (ऐप) के माध्यम से विज्ञान के सिद्धांतों को व्यावहारिक और इंटरेक्टिव तरीकों से प्रस्तुत किया गया। शिक्षकों ने प्रत्येक वैज्ञानिक अवधारणा के बाद वर्चुअल प्रयोगशाला का उपयोग करते हुए प्रशिक्षुओं को उस अवधारणा का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर दिया। क्योंकि वर्चुअल लैब में संसाधनों (केमिकल या एपरेटस) की आवश्यकता भौतिक रूप मे नहीं होती इसलिए छात्र स्वयं अपनी आवश्यकतानुसार कई बार प्रयोग कर अपने ज्ञान को स्पष्ट कर सकते हैं इस प्रक्रिया से प्रशिक्षु उन जटिल वैज्ञानिक धारणाओं को न केवल सैद्धांतिक रूप से समझ सके, बल्कि उन्हें प्रयोगात्मक रूप में भी अनुभव कर पाए, जिससे उनकी वैज्ञानिक समझ में गहराई आई। इस प्रक्रिया के दौरान छात्रों की अवधारणात्मक स्पष्टता और प्रायोगिक कौशल का मूल्यांकन किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही दिशा में प्रगति कर रहे हैं। प्रशिक्षुओं के प्रगति स्तर का आकलन करने के लिए नियमित रूप से उनके ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन किया गया। इसमें यह देखा गया कि वर्चुअल लैब का उपयोग करते हुए उन्होंने कितनी कुशलता से वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझा और उन्हें प्रायोगिक रूप से कैसे लागू किया। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षुओं के बीच वैज्ञानिक चर्चा और समूह गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिससे वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें और अपने दृष्टिकोण को व्यापक बना सकें।

प्रभाव-

वर्चुअल लैब के उपयोग से डी.एल.एड छात्रों की विज्ञान के प्रति समझ और रुचि में काफी सकारात्मक प्रभाव देखा गया। छात्रों ने जटिल अवधारणाओं को आसानी से समझा और उनके प्रायोगिक कौशल में भी सुधार हुआ। विज्ञान शिक्षण के प्रति उनका दृष्टिकोण अब अधिक जिज्ञासापूर्ण और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। छात्रों को भौतिक प्रयोगशाला के बिना भी प्रयोगात्मक ज्ञान का अनुभव हुआ है, जिससे उनके सीखने का तरीका अधिक व्यावहारिक हो गया है। इस विधि ने विज्ञान लैब संसाधनों की अनुपलब्धता के पश्चात् भी छात्रों के विज्ञान शिक्षण को इंटरैक्टिव, सजीव और प्रेरक बना दिया है, जिससे वे भविष्य में एक प्रभावी शिक्षक के रूप में उभर सकते हैं। वर्चुअल लैब की इस पद्धति ने शिक्षा को एक नई दिशा दी है, जो भविष्य में विद्यालयी शिक्षण के तरीके को और भी समृद्ध बना सकती है। इस योजना के तहत, वर्चुअल लैब का उपयोग न केवल छात्रों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि यह उनके वैज्ञानिक सिद्धांतों की व्यावहारिक समझ को भी मजबूत करने में सफल रहा।